Wednesday 29 February 2012

खालिस बातें

छुप के मिलना यहाँ हमारी कमज़ोरी समझा जाता है
बेइंसाफी सहना सहनशीलता का प्रमाण 

दूसरों के मामले में दखल न देना समझदारी
चाहे दूसरा आपका सगा, खून का ही क्यूँ न हो

औरों की मदद करना अपना वक्त बर्बाद करना है 
अनजान से बात करना महापाप 
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छुपा दो  हमका, बिठा दो हमको, ढक दो हमें , जला दो हमको
ख़तम कर दो किस्सा, जाओ अपने घर
तुम्हारा खुदा तुम्हारी राह देखता होगा 
देखता होगा की तुम आये की नहीं सलामत

5 comments:

  1. यही हालत है अपनी!

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    1. बहुत सुन्दर सृजन, आभार.

      मेरे ब्लॉग " meri kavitayen" की नवीनतम प्रविष्टि पर आप सादर आमंत्रित हैं.

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    2. aap dono ka shukriya, padne ke liye :)

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  2. प्यारी प्यारी बातें पढ़ीं आपके ब्लॉग में आकर। यूँ ही लिखती रहें दिल से..साफगोई से। हम आप महान कवि नहीं बस अच्छे-सच्चे बने रहें यही बहुत है।

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    1. mujhe aapke is comment mein kuch kaafi badhiya baat padhne ko mile hai,,main gaanth baandhongi is baat ko...bahaut bahaut shukriya

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Kavyitri ko rat race kha gyi!

woh kavyitri kahan gyi use dhondti hun main  corporate kha gya us kavriti ko  par weekends to mere hain,  choices to meri hain  corporate me...