Monday 2 April 2018

हमें खुद को टटोलते रहना चाहिए
साल दो साल में 
देखने के लिए की क्या बदला 
कहीं हम ही तो नहीं बदल गए 

पुराने दोस्तों से मिलते रहना चाहिए 
देखने के लिए की क्या बदला 
कहीं हम ही तो नहीं बदल गए

हमारे कमरे का वो cupboard
जहाँ ग्रीटिंग कार्ड्स, class फोटोज, handwritten notes रखे हैं
कभी-कभी देख लिया करो,
पुरानी स्क्रेपबुक्स, पुरानी पिक्चर्स,
और अगर मिल जाएँ
तो पुरानी classwork copies के आखिरी पन्नों पे बने हुए FLAMES

कभी-कभी अपने गांव हो आना चाहिए 
देखने के लिए की क्या बदला 
कहीं हम ही तो नहीं बदल गए

क्या हम सचमुच बदल जाते हैं?
इसका जवाब हाँ भी है और ना भी 
कौन बदल देता हैं हमें?
वक्त, अनुभव, मौके


Maa

माँ के साथ कितनी ही चीज़ें खत्म हो जाएँगी
गाँव वाली कहावतें 
छोले कैरी के अचार की रेसिपी 
क्रोएशिया के बनी हुई स्वेटर्स

माँ, आप अपने साथ कितनी ही चीज़ें ले जाओगी !

जब माँ की याद आएगी तो क्या करोगे?
माँ की बनायीं स्वेटर पहन के बैठ जायेंगे 

क्या चीज़ होती  माँ,
हम समझ ही नहीं पाते 
किस मिटटी की बनी होती है माँ 
तब तक नहीं,
जब तक हम खुद माँ नहीं बन जाते  

अब जब माँ है मेरे पास, कितनी आसानी से भूल जाती हूँ मैं 
की एक दिन माँ नहीं होगी 
जो आप को इस दुनिया में लायी, वो ही नहीं होंगी 

Let's go and tell our mothers how much we love them
How much we are grateful to them
She meant the world to us, let them know she is still our world
how much they deserved and how little they got
I love you, Maa.



Kavyitri ko rat race kha gyi!

woh kavyitri kahan gyi use dhondti hun main  corporate kha gya us kavriti ko  par weekends to mere hain,  choices to meri hain  corporate me...