Saturday 24 December 2011

शिकायत


जी चाहता है
जोर से हाथ पटकूं और चिल्लाऊं
आज फिर उन्हें मैं आइना दिखाऊँ

वो करते हैं अभिमान खुद पर, पैसे पर
जी चाहता है
आज फिर उन्हें उनकी गरीबी से परिचय कराऊँ

वो गाते हैं की उन्हें कई गम हैं
जी चाहता है
उन्हें बतलाऊँ उनके गम पर मुझे कितनी ख़ुशी है

वक्त पलटा है
जो रुलाते थे, आज रोते हैं
जो दहाड़ते थे, आज भीगी बिल्ली बने बैठे हैं
जी चाहता है
उनको बगल में बैठा कर
थपकी दे कर, उनका दिल सहलाऊँ
कुछ उनकी शिकायतें सुनूं
कुछ अपनी सुनाऊँ



तू घूम, तू झूम, तू भटक, तू भूल 
तू गिर, तू उठ, तू झटक, तू पटक


तू भूल जा, तू उन्हें भूलने दे 
तू याद कर, तू उन्हें याद दिला 


क्या नियम हैं और किसने बनाये हैं?
क्या सही है और कौन यहाँ बैठा चौधरी है?


जो हाथ आये वो कौड़ी, जो दूर दिखे वो सोना!!


तुझे ढूँढना नहीं, भूलना है 
वो सब जो अब तक सीखा 
वो सब जो औरों ने सिखाया 
और तुने सिर्फ रट्टा लगाया 

Wednesday 21 December 2011

' दुःख बहुत हैं '


मैंने देखी हैं बड़ी दुखी जिंदगियां
हैरत इस बात की हैं
हर इक उस ज़िन्दगी में दुःख नदारद था
मैंने देखी हैं ऐसी कई बेमतलब की दुखी जिंदगियां

उन्हें शौक है दुःख पालने का
वो मौका ढूँढ़ते हैं, गम ढूँढने का
मैंने देखी हैं कई बेमतलब की दुखी जिंदगियां

वक्त की मरहम कहाँ काम करती हैं उन पर
वो तो सीचते हैं गमों को दिलों-दिल में
उन्हें डर है अकेले रह जाने का और
गम उनके साथी हैं

हैरत यही है की वो रोते हैं की दुःख बहुत हैं
' बोया पेड बाबुल का तो नीम कहाँ से होए'

 

Tuesday 6 December 2011


घडी की सुइयां जैसे चिढाती हैं
हम भाग रहे हैं, तू कहाँ ठहरी है
हम जाग रहे हैं, तू कहाँ सोती है
हम अटखेलियाँ करते हैं तू किस कौने में बैठी शौक मानती है

गुस्से में मैं घडी के cell निकाल देती हूँ
फिर ना वो चलती है ना  मैं
फिर ना वो शोर करती है ना  मैं

"अब से" 6 dec 2011


ऐसे जीओ की शोर हो
ऐसे जीओ की बातें बनें
ऐसे जीओ की किस्से उडें

चुप्पी में क्या रखा है- चुप्पी के अलावा
अलगाव में क्या रखा है-अलगाव के अलावा
बेबसी में क्या रखा है- बेबसी के अलावा

खबर आये की तुम आते हो, तो चर्चे चलें
वक्त हुए और तुम जाओ तो फिर चर्चे चलें
तुम्हारा नाम चर्चों में शामिल हो, ऐसे जियो

शोर करो, ठहाके लगाओ
शौक मनाने की धज्जियां उड़ाते चलो
धुल उड़ाते चलो, शोर मचाते चलो

Kavyitri ko rat race kha gyi!

woh kavyitri kahan gyi use dhondti hun main  corporate kha gya us kavriti ko  par weekends to mere hain,  choices to meri hain  corporate me...