Friday 6 January 2012

बादलों की औकात


सर्दियों के दिन आए
तो पता चली हमें, बादलों की औकात
बादलों की औकात-
जो धूप का इक कतरा भी ज़मीन पर नहीं पड़ने देती

करमी सूरज भी दिन भर मगजमारी करता है
नयी-नयी रणनीतियां बनाकर
नयी नयी जगह अपनाकर
बादलों की चादर भेदने में लगा रहता है
और हम धरावासी ललचाई आँखों से
सूरज को ताकते हैं, कोसते हैं

आज ऐसा ही ऐतेहासिक दिन है जब हम
पुरे दिन सूरज और बादल की
वर्चस्व की लड़ाई देखेंगे
और कपकपाती हुई आवाज़ और ठन्डे पड़ते हाथों से सूरज की side लेंगे
आज हमने और सूरज ने जानी
बादलों की औकात



Kavyitri ko rat race kha gyi!

woh kavyitri kahan gyi use dhondti hun main  corporate kha gya us kavriti ko  par weekends to mere hain,  choices to meri hain  corporate me...