Thursday 13 December 2012

हाफ स्वेटर

जाड़ों ने आहट दे दी है
सर्दियां अब करीब हैं
बक्से, अलमारी खोलो
हाफ स्वेटर निकालो
सर्दियां अब करीब हैं

स्वेटर में दबी मिलेगी
कपूर की गोली
उसे सूंघने का मज़ा, कुछ और है

आज से चार सवेरे पहले
किसी दुपहिया चालक को
स्वेटर पहने देखा
तो सोचा, "गधा है"
आज देखा तो सोचा, "समझदार है"

अब मिलेंगी गरम मूंगफलियाँ
अब निकलेंगी रजाइयां
अब सिकेंगे हाथ तवे पर
अब चाय पीने का अलग होगा मज़ा
अब वक्त आ गया है सर्दियों का    

रवानगी

दिल तू हौले-हौले संभल जा
बात मान जा, दरखास्त मान जा

तुझे रास्तों पे सँभालते हुए ऐसे चलते हैं हम,
जैसे रूई के फोहे हाथ में ले रखे हों
डर सताता है, किसी के हाथ मारने
की कोशिश भर से ही
राख ना हो जाए यह दिल मेरा 


भला कब तक यूँ तुझे संभालें,
कब तक तुझे बचाते फिरें

इसीलिए कहती हूँ 
तू हौले हौले संभल जा
बात मान जा, दरखास्त मान जा

शिकायत मुझे, कुछ और भी है 
मसलन, तू क्यूँ उन लच्छेदार बातों में बार-बार आ जाता है 
तू क्यूँ उन रास्तों में जाता है 
जहाँ तेरे वास्ते सिर्फ फिसलन लिखी है 

गौरतलब यह भी है,
तेरी और मेरी कभी ज्यादा बनी नहीं
पब्लिक में मैंने तुझे भाव दिए नहीं
पर सवासेर तू भी था 
हाथ आए मौके, तुने भी गवाए नहीं

पर मैं समझती हूँ
तू अब सयाना हो चला है
उम्र भी गिनने लायक हो गई है
सफेद रेशमी धागे कहीं- कहीं दिखने लगे है 
मैं समझती हूँ 
तू वादों का पक्का हो चला है

फिर काहे का झगडा
और क्यूँ करें इतनी मगजमारी
आ पास बैठ, दो बातें कर ले
आ समझोता कर लें

मैं माफ़ी माँगूँ , तू माफ़ कर दे
मैं तेरी देखरेख से मुक्त हो जाऊं,
और तू मुझे उम्र के इस पड़ाव पर,
सुकून अदा कर दे


Wednesday 12 December 2012

मेरे कातिल का नाम न पूछना
उसको नाम मैंने, अभी दिया नहीं
वो मुझसे जन्मा है
और मेरे साथ ही रवानगी है उस की

यह झुंझलाहट, ये बेबसी
अभी सन्देह मुझे भी है,
वो मददगार है या कातिल 

Kavyitri ko rat race kha gyi!

woh kavyitri kahan gyi use dhondti hun main  corporate kha gya us kavriti ko  par weekends to mere hain,  choices to meri hain  corporate me...