Monday 2 April 2012

एक पाक विधि ( recipe )


एक पाक विधि ( recipe )

अपने सारे ग़मों को ओखल में डाल, कूट लो
और उन्हें अदरक मान, चाय में डाल, पी जाओ
कडवी लगेगी पर सेहत के लिए अच्छी है

जब किसी पर गुस्सा आये, हफ्ते दो हफ्ते रुका जाएँ,
फिर उन 'किसी' को चाय पे बुला कर,
वही अदरक की चाय मिल कर पीई जाए

अगर ज़िन्दगी से निराशा है,
या यूँ कह लो खुद से हताशा है
इन सभी शा'ओं की गठरी बाँध, दूर वीराने में डाल आओ

अगर दिल में चुभी बातों की एक किताब बना रखी है
जिसमें क्रमानुसार लेखा जोखा सजा हो
कब किसने ठेस पहुंचाई
अगली पूर्णिमा की रात
उस किताब का होलिका दहन कर आओ


क्यूँ? क्या जल्दी है? 


क्या तुम कछुआ हो?
बरगद हो? या श्री भगवान् हो?
न मरना का वरदान प्राप्त है तुम्हे?
नहीं ना? तो तुम्हारी ज़िन्दगी बहुत लम्बी नहीं है !!
क्या पैदा होने पर कान में किसी ने ये कहा था की बहुत जीयोगे
पर याद दिलाने के लिए माफ़ी
'बहुत' तो तुम जी चुके हो
अब तो 'कुछ' ही बाकी है
इसीलिए ग़मों, हताशाओं, लाचारी, बेचारी
का पोटला उठाओ, और समुन्दर में फ़ेंक आओ,
समुन्दर न मिले तो मिटटी खोद दफ़न कर दो उन्हें
ज़िन्दगी छोटी है, बुरी गुज़रे तो और भी छोटी

इतनी बीती है, शेष भी बिना बताये बीत जायेगी
कैसे बीतेगी, आज तय कर लो
मान जाओ ये बात,
ज्यादा वक्त नहीं है अब तुम्हारे पास

अंतर्विरोध

जो लोग कहते हैं, उन्हें उम्र भर प्यार ना मिला
मुझे शक होता है, की उन्होंने उम्र भर किसी को प्यार नहीं किया
मुझे शक होता है, वो किस प्यार की बातें कर रहे हैं
प्यार से ज्यादा two-way , प्यार से ज्यादा पारस्परिक तो शायद कुछ है ही नहीं
मैं मिलना चाहूंगी  उस बेचारे से, जिसे कभी प्यार नहीं मिला
वो मेरे लिए अजूबा है, किताबी है, देखना चाहूंगी उसे

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प्यार ना मांगने की चीज़ है न खींचने की
आप इज्ज़त मांग सकते हो, हक़ मांग सकते हो, प्यार नहीं

जहाँ मुझे प्यार भी माँगना पड़े, वो बस्ती मैं छोड़ना पसंद करुँगी 

ख़ामोशी से

इतना बदल जाओ, की खुद को पहचान ही न पाओ
गलतियां इतनी बार दोहराओ, की ठूठ हो जाओ
मैं उस परे खड़ी हूँ, जिधर से लगभग कुछ महसूस नहीं होता

कुछ टूटने की देर है, फिर होश आएगा
कुछ चटकने की देर है, फिर महसूस होगा

ऐसा चटकना अक्सर ख़ामोशी से होता है !!

Kavyitri ko rat race kha gyi!

woh kavyitri kahan gyi use dhondti hun main  corporate kha gya us kavriti ko  par weekends to mere hain,  choices to meri hain  corporate me...