Monday 18 March 2013

जुगनुओं के दम पर चहकती रात 
बावरी हो, उसके सपनों में दौड़ती रात 
ख्वाबों की क्यारियाँ बनती, सपने सींचती रात 

उन्ही में से कुछ सपनों को, 
उसके सिरहाने छोड़ गयी थी रात
अब वो, बन बावरी है घूमती,
ढूँढती  है रात  

शाम ढले, जाने कब है आती 
और उसके उठने से पहले, चली जाती है रात 






Tuesday 12 March 2013

अटाले


क्यूँ है उसे खुद से शिकायत,
क्यूँ नहीं बहती अब उसकी बातों में नदी

क्यूँ नहीं मिलती, ढूँढने से भी
बचा के रखी थी, अटाले में उसने
जो थोड़ी सी हँसी

आज किसने ऑन छोड़ा गिज़र

सांस चलती है, चाय के प्याले 
मन थक गया है, मेरी खुदगर्जी  करू किसके हवाले  

उम्र से झगडा है, टेबल फर्श दोनों पर पड़ी हैं कुछ नेल पेंट  
अब गिनना छोड़ दिया है, शादी करनी है लगाओ तुम टेन्ट 

खैरियत पुछने वाले कई है, बगल में मेरे फैला पड़ा है न्यूज़ पेपर

लिस्ट कितनी ही बढा लो, रोज़ माँ से डांट खाते हैं, 
आज किसने ऑन छोड़ा गिज़र 







Thursday 7 March 2013

सिनेमा हॉल

कभी मन करता है सिनेमा हॉल के अँधेरे में गुम हो जाऊं
सिनेमा हॉल भी सही जगह है 
अनजान लोगों के बीच भी इतना सुकून महसूस होता है 
अँधेरे में कोई मुझसे कुछ पूछता नहीं, कहता नहीं 
बस एक भीड़ आके बैठी हैं इक साथ , 
चाँद घंटो बाद , सब ने यहाँ से निकल जाना है, 
फिर कभी एक दुसरे को ना देखने का वादा लिए

कभी-कभी हलकी नींद में कुछ चेहरे दिखते  हैं 
कुछ न कुछ करते हुए, जैसे मैं कोई पिक्चर देख रही हूँ , उनकी पिक्चर 
वो चेहरे मेरी जान पहचान से अलग, कोई और ही होते हैं 
जिन्हें मैं जानती नहीं, कभी देखा नहीं 
और नींद खुलते के साथ गायब से हो जाते हैं, छुमंतर 
वो मेरी कच्ची नींद के साथी हैं 

जागते हुए भी, अक्सर, कुछ लोग दिमाक में रहते हैं 

कुछ लोग जाने पहचाने , 
उस दिन उनका घर, मेरा दिमाक ही होता है 
दिमाक का दही मुख्यतः इन्ही हालातों में होता है 





मेरे दिल को चुप रहना तो नहीं आता था

दिमाक कहे, दिमाक सुने 
दिमाक सोचे, दिमाक बूझे 
दिमाक गुस्सा करे, दिमाक शांत करे 
दिल कहाँ है इन सब में?
जो महोदय कभी क्रांतिकारी बनते थे, 
ग़दर फैलाते थे, जंग छेड़ते थे
आज शांत बैठे हैं !
मेरे दिल को दुनियादारी किसने सिखाई 
मेरे दिल को चुप रहना तो नहीं आता था 
उसकी बुर्शर्ट पे समझदार का तमग़ा किसने लगाया
उसे मूक-दर्शक बने बस देखते रहना, तो नहीं आता था 
मेरे दिल को चुप रहना तो नहीं आता था 




Kavyitri ko rat race kha gyi!

woh kavyitri kahan gyi use dhondti hun main  corporate kha gya us kavriti ko  par weekends to mere hain,  choices to meri hain  corporate me...