Monday 2 April 2018

हमें खुद को टटोलते रहना चाहिए
साल दो साल में 
देखने के लिए की क्या बदला 
कहीं हम ही तो नहीं बदल गए 

पुराने दोस्तों से मिलते रहना चाहिए 
देखने के लिए की क्या बदला 
कहीं हम ही तो नहीं बदल गए

हमारे कमरे का वो cupboard
जहाँ ग्रीटिंग कार्ड्स, class फोटोज, handwritten notes रखे हैं
कभी-कभी देख लिया करो,
पुरानी स्क्रेपबुक्स, पुरानी पिक्चर्स,
और अगर मिल जाएँ
तो पुरानी classwork copies के आखिरी पन्नों पे बने हुए FLAMES

कभी-कभी अपने गांव हो आना चाहिए 
देखने के लिए की क्या बदला 
कहीं हम ही तो नहीं बदल गए

क्या हम सचमुच बदल जाते हैं?
इसका जवाब हाँ भी है और ना भी 
कौन बदल देता हैं हमें?
वक्त, अनुभव, मौके


No comments:

Post a Comment

Kavyitri ko rat race kha gyi!

woh kavyitri kahan gyi use dhondti hun main  corporate kha gya us kavriti ko  par weekends to mere hain,  choices to meri hain  corporate me...