Monday 26 May 2014

एक अदद पागल ढूँढ़ते हैं हम !!

पागलों से भरी दुनिया में एक अदद पागल ढूँढ़ते हैं हम 
कुछ खुद से अलग , कुछ खुद के जैसा- पागल ढूँढ़ते हैं हम 

भाई सुना आपने, पागल ढूंढ रहे हैं हम
बहुत समझदारी हो गयी
बहुत समझदारों का हो-हल्ला हो गया
समझदारों को निष्काषित करना चाहते हैं अब हम
एक अदद पागल ढूँढ़ते हैं हम

कहीं तुम्हे कोई पागल मिले
उसे छोड़ना मत
पागल बड़े करामाती होते हैं
पागल बड़े विस्मयकारी होते हैं
इन्ही पागलों की बस्ती में एक अलग सा पागल ढूँढ़ते हैं हम

वैसे इन दिनों मुझे सभी पागल लगते हैं
दुनिया शायद मेरी समझ से ज़्यादा समझदार हो गयी है
मेरी उमर के सभी लोग यही सोचते मिलते हैं
की "उसने मेरे दिल की जान ली तो क्या सोचेगी
की यह कितनी पागल है" !!
मज़ा आता है मुझे ऐसा सुन के,
सोच के की बिरादरी बढ़ रही है अपनी

पागल बड़े क्रांतिकारी होते हैं
पागलों की इज़्ज़त अलग है मेरी नज़र में 
सलाम ठोकूँगी हर पागल के सामने
तो कोई पागल मिले तो मिलवाइएगा ज़रूर
एक अदद पागल ढूँढ़ते हैं हम !!



No comments:

Post a Comment

Kavyitri ko rat race kha gyi!

woh kavyitri kahan gyi use dhondti hun main  corporate kha gya us kavriti ko  par weekends to mere hain,  choices to meri hain  corporate me...