Monday 26 May 2014

तुम इतनी भी बुरी नहीं !!

ज़रा आँख बंद करना 
शायद कोई नज़र आए 
ज़रा आँख पे हाथ भी फेर लेना 
शायद सुकून आए 
ज़रा मुट्ठी कस लेना 
कहीं कुछ रिस ना जाए
ज़रा बालों को ढीला कर देना
थोड़ा बेसलीकी हो जाए
ज़रा ठिठक के आईने में देख लेना
शायद पहचान पाओ 
ज़रा खुद को ज़ोर से पकड़ लेना 
झूठी गर्माहट आये
ज़रा खुद कि पीठ सहला देना यार
की तुम इतनी भी बुरी नहीं !!







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