Friday, 9 September 2016


Oh, Stages of life
how cruel u are!
I wish I cud be born old and age backwards
Just like Benjamin Botton

How fantastic would that be.
If I cud live this way, would I still have regrets at end of my life?
No, because I would be a kid and kids don't harbour regrets.

If I cud live this way, I would be born with all the lessons and learnings of life
and gradually forget them all to be just myself, living in present.
How fantastic would that be.

when did i stop learning? 
Long back
when did i stop observing
long back
when did i stop questioning, dreaming, experimenting, expressing
long back
where did i loose my childhood
in this life only while growing up to be an adult
why?
i dont know
but i dont like the sort of adult that i hv become!!
then go make urself again. SIMPLE. 
GO LEARN. SWIM. HIKE. TALK TO PEOPLE. GO TO GARDENS. RUN AFTER BUTTERFLIES. LEARN MUSIC. CLAP. DANCE, LAUGH. AND CRY. DEMAND. FORGET. FORGIVE. BE STUPID. DONT GET TRAPPED IN IMAGES. U ARE NOT A PICTURE. U ARE A MOVIE. GO CREATE UR MOVIE. LOVE. LIVE IN THE MOMENT. 

Friday, 12 September 2014

चाहत क्या होती है
किसी को चाहना क्या होता है?
किसी को पाने की मुराद क्या होती  है?

चाहत किस रंग की होती है?
किस तरंग की बनी होती है
किस ढंग से नसों में घुलती है
और दिलोदिमाग पे छा जाती है

चाहत क्या होती है?

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ये चाहत काले बदल है
बरस क्यों नही जाते
ये चाहत चाय में डूबा हुआ बिस्किट है 
गिर क्यों नहीं जाता :) 




Wednesday, 2 July 2014

talaash

क्या खेल है यह दिल का 
खेल ही तो है यह 
दिल बिकता है यहाँ 
बोली भी लगती है बकायदा 
बातों के पुल बनते ढहते हैं यहाँ 
दिल टूटता है यहाँ 
फिर भी किसी का गिरेबान पकड़ के 
कोई कुछ नहीं कह सकता यहाँ 
अजीब हालात है यहाँ 
फिर भी सबकी तलाश
ज़ारी है यहाँ 

Friday, 27 June 2014

तू अमीर और मैं गरीब क्यों

विचित्र देश है मेरा
सड़क पे दौड़ती चमचमाती गाड़ियां
और बगल में पसरी हुई गरीबी

उसकी आँखों में आँखें डाल कर  देखा है कभी
देखा है, जैसे पूछ रही हों तू अमीर क्यों और मैं गरीब क्युं
झिझक नहीं होती उनसे आँख मिलाने में
एक शर्मिंदगी का एहसास
यूँ देखना एक दूसरे को जैसे अलग अलग गृह के वासी हो
कोहतूलता दोनों तरफ है

भूख से कोई मर जाए
यह ख़याल कैसा है
काश जब मैं ज़्यादा खाऊं
एक गरीब आके मेरे हाथ रोक ले
क्या नहीं कर सकती मैं इनके लिए

हम सब कैसे व्यस्त हैं अपनी अपनी ज़रूरतों में
और फिर जब कोई गरीब दिख जाता है
तो ख़याल आता है कोई इतना अमीर तो कोई
इतना गरीब क्यों है
अगर ऐसा ही होता आया है इस दुनिया में
तो ऐसा होता क्यों है
पैसा किसी एक के पास रुकता क्यों है
किसी के पास रखने की जगह नहीं
तो किसी के पास कभी पर्याप्त आया ही नहीं
मैं जानती हूँ ऐसा है
पर ऐसा क्यों है?

काश मासी अपनी बिटिया को कह पाती
यह दुनिया उतनी ही हसीन है
जितना तेरी नन्ही आँखों को  दिख रही है







Monday, 26 May 2014

बातें

क्या जानना चाहते हो मेरे बारे में
क्या ज़िन्दगी बिताना चाहते हो मेरे साथ
कितना पसंद करते हो तुम मुझे
90% ?
यह 10% का हाशिया बरकरार रखना
यह छूट मिलती रही मुझे नापसन्दीदगी की
इतने में अपने दिल की कर लूंगी मैं !!
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ग़ालिब न हुए होते तो कितने ही शायर न होते
और अगर गम न होते तो भी
कितने ही शायर न होते

लिखावट का गम से कोई रिश्ता है क्या?
लिखावट का अपनेपन से ज़रूर रिश्ता है
और खालीपन से?
आप खुद के लिए लिखते हो
आपकी रूह जो बोलती है
उसे पन्ने पे उकेर देते हो
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चाहत क्या होती है
किसी को चाहना क्या होता है?
किसी को पाने की मुराद क्या होती  है?

चाहत किस रंग की होती है?
किस तरंग की बनी होती है
किस ढंग में नसों में घुलती है
और दिलोदिमाग पे छा जाती है

चाहत क्या होती है?
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कितने ही लोगों को मैं ,
पेन और पेपर पकड़ाना चाहती हूँ
कितने ही लोगों के पास कितना कुछ है यहाँ 
लिखने को 
हज़ार भरेंगे पन्ने यहाँ ,
जब लिखेंगे ये कहानियाँ अपनी ज़िन्दगी की 



एक अदद पागल ढूँढ़ते हैं हम !!

पागलों से भरी दुनिया में एक अदद पागल ढूँढ़ते हैं हम 
कुछ खुद से अलग , कुछ खुद के जैसा- पागल ढूँढ़ते हैं हम 

भाई सुना आपने, पागल ढूंढ रहे हैं हम
बहुत समझदारी हो गयी
बहुत समझदारों का हो-हल्ला हो गया
समझदारों को निष्काषित करना चाहते हैं अब हम
एक अदद पागल ढूँढ़ते हैं हम

कहीं तुम्हे कोई पागल मिले
उसे छोड़ना मत
पागल बड़े करामाती होते हैं
पागल बड़े विस्मयकारी होते हैं
इन्ही पागलों की बस्ती में एक अलग सा पागल ढूँढ़ते हैं हम

वैसे इन दिनों मुझे सभी पागल लगते हैं
दुनिया शायद मेरी समझ से ज़्यादा समझदार हो गयी है
मेरी उमर के सभी लोग यही सोचते मिलते हैं
की "उसने मेरे दिल की जान ली तो क्या सोचेगी
की यह कितनी पागल है" !!
मज़ा आता है मुझे ऐसा सुन के,
सोच के की बिरादरी बढ़ रही है अपनी

पागल बड़े क्रांतिकारी होते हैं
पागलों की इज़्ज़त अलग है मेरी नज़र में 
सलाम ठोकूँगी हर पागल के सामने
तो कोई पागल मिले तो मिलवाइएगा ज़रूर
एक अदद पागल ढूँढ़ते हैं हम !!



Kavyitri ko rat race kha gyi!

woh kavyitri kahan gyi use dhondti hun main  corporate kha gya us kavriti ko  par weekends to mere hain,  choices to meri hain  corporate me...