Friday 12 October 2012

Myrrah (माय्र्रह )


रात आई, रात आई 
टिमटिमाते तारे साथ लाई 
एक तारा उन में सबसे बड़ा 
रिश्ते में लगता मामा सा 

रात आई, रात आई 
कभी सुहावने, 
तो कभी डरावने 
सपने साथ लाई 

रात आई, रात आई 
और, लगता है, बिटिया को मेरी, नींद आई 
दिन भर धमाचौकड़ी मचाने के बाद 
बिटिया ने अब आराम करने की है ठानी 
पर इससे पहले की बिटिया सोए 
मासी को सुनानी होगी- एक कहानी 

कहानी नहीं होनी चाहिए, बोरिंग और बासी 
नहीं तो गुडिया ये नहीं सोएगी, सुन लो मासी 

फिर ले के बैठे रहना उसे गोद में 
जो उसने ठान ली, भला इसी में है की तुमने बात मान ली 

सो मासी जल्दी से सुना दो 
भालू और गिलहरी की दोस्ती वाली कहानी 
और गोद में तुम्हारी आराम से सो जायेगी 
यह नटखट शैतान, खुशियों की पुडिया, सयानी 




8 comments:

  1. एक बच्चे के मन की बात ..अति सुन्दर

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  2. :) pyaari see kavita...sundar!!

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  3. baar baar padhne ka man karta hai..

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    1. its same with me, whenever i miss her, i read this poem and stare at her foto :)

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Kavyitri ko rat race kha gyi!

woh kavyitri kahan gyi use dhondti hun main  corporate kha gya us kavriti ko  par weekends to mere hain,  choices to meri hain  corporate me...