Thursday 13 February 2014

अगर घुमक्कड़ी का शौक है
तो ऑफिस में क्या बैठा है ?
जा कोई ट्रेन पकड़

अगर आशिक़ी का शौक है
तो दिल मार के क्यूँ बैठा है ?
जा इज़हार कर, जा किसी से प्यार कर

अगर लिखने का शौक है
तो कलम और पन्ना इतना दूऱ क्यूँ है ?
लिख कोई किताब , लिख अपनी कहानी

अगर सुनाने का शौक है
तो क्या सुनने वालों कि कमी है ?
वो तेरे गम भी सुनेंगे और फलसफे भी
वो साथ बैठेंगे भी और गुनगुनाएँगे  भी

अगर घुमक्कड़ी का शौक है
तो ऑफिस में क्या बैठा है ?







No comments:

Post a Comment

Kavyitri ko rat race kha gyi!

woh kavyitri kahan gyi use dhondti hun main  corporate kha gya us kavriti ko  par weekends to mere hain,  choices to meri hain  corporate me...