छुप के मिलना यहाँ हमारी कमज़ोरी समझा जाता है
बेइंसाफी सहना सहनशीलता का प्रमाण
दूसरों के मामले में दखल न देना समझदारी
चाहे दूसरा आपका सगा, खून का ही क्यूँ न हो
औरों की मदद करना अपना वक्त बर्बाद करना है
अनजान से बात करना महापाप
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छुपा दो हमका, बिठा दो हमको, ढक दो हमें , जला दो हमको
ख़तम कर दो किस्सा, जाओ अपने घर
तुम्हारा खुदा तुम्हारी राह देखता होगा
ख़तम कर दो किस्सा, जाओ अपने घर
तुम्हारा खुदा तुम्हारी राह देखता होगा
देखता होगा की तुम आये की नहीं सलामत
यही हालत है अपनी!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सृजन, आभार.
Deleteमेरे ब्लॉग " meri kavitayen" की नवीनतम प्रविष्टि पर आप सादर आमंत्रित हैं.
aap dono ka shukriya, padne ke liye :)
Deleteप्यारी प्यारी बातें पढ़ीं आपके ब्लॉग में आकर। यूँ ही लिखती रहें दिल से..साफगोई से। हम आप महान कवि नहीं बस अच्छे-सच्चे बने रहें यही बहुत है।
ReplyDeletemujhe aapke is comment mein kuch kaafi badhiya baat padhne ko mile hai,,main gaanth baandhongi is baat ko...bahaut bahaut shukriya
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