रेत पे चलना इतना सुकूनदेह क्यूँ होता है
पैरों तले वो गीली मिटटी का एहसास
वो कदम रखने पर पैरों का धसना ज़मीन पे
मुझे पसंद है समुन्दर की तरफ मुंह करके खड़े हो जाना
उसे निहारना जो अंतहीन लगता है
उसे निहारना जो अंत लगता है
वो शून्यता, वो विचारहीनता, जिससे मैं भर जाती हूँ
वहां आके जैसे सब ठिटक जाता है, बेमानी जान पड़ता है
जैसे मौत खड़ी हो सामने, जैसे मैं मौत को निहार रही हूँ
एक दिन मुझे भी वहीँ जाके मिल जाना है, जहाँ से मैं आई हूँ
पर इस सुकून का इक कतरा अपने साथ ले जाना चाहती हूँ
आज के लिए,
तब तक के लिए जब तक मैं फिर यहाँ लौट के ना आऊं
फिर इस पानी को ना निहारूं
वो लहरों का तेज़ी से मेरी और बढ़ना
वो पानी का पैरों पे चढ़ना
और जाते वक्त पैरों नज़दीक सीपियाँ छोड़ जाना
मैं फिर दूसरी लहर का इंतज़ार करुँगी
ताकि वो अपनी सीपियाँ ले जाएँ
हर चीज़ वहीँ रहे जहाँ के लिए वो बनी है
बहुत खूब!
ReplyDeleteसादर
:) shukriya
ReplyDeleteअति सुन्दर बहुत ही बढ़िया प्रस्तुति...
ReplyDeleteसार्थक
दिनेश पारीक
मेरी नई रचना
कुछ अनकही बाते ? , व्यंग्य: माँ की वजह से ही है आपका वजूद:
http://vangaydinesh.blogspot.com/2012/03/blog-post_15.html?spref=bl
कल 30/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
:) jee shukriya
ReplyDeleteहर चीज़ वहीँ रहे जहाँ के लिए वो बनी है….
ReplyDeleteखूबसूरत एहसासात से भरी रचना...
हार्दिक बधाई
:) shukriya
Deletebahut khub !
ReplyDelete:)shukriya
Deleteबहुत सुन्दर..
ReplyDelete:)shukriya
Deletebahut pyaare ehsaas aapke blog par pahli baar aai hoon trapti aapki pyaari si rachna bahut bhaai vajah bhi batati hoon samudra ki lahron se baate karna uski aaj ko sunna mujhe bahut achcha lagta hai uske upar kafi kuch likh chuki hoon....aaj sab tarotaja ho gaya.mere blog par bhi aapka swagat hai.
ReplyDelete:)padne ke liye aapka shukriya, aur mujhe khushi hai aapko pasand aayi..
Deleteवाह..बेहद खूबसूरत रचना..!!
ReplyDelete:)shukriya
Deleteसुन्दर .....समुद्र के किनारे जीवन बीता ....इसलिए हर भाव को बखूबी समझ सकती हूँ.....सुन्दर चित्रण !
ReplyDelete:) bahaut bahaut shukriya...
Deletewaah behad sundr rachna . badhai .
ReplyDelete:)shukriya
Deleteसुंदर रचना ...
ReplyDelete:) shukriya
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