एक पाक विधि ( recipe )
अपने सारे ग़मों को ओखल में डाल, कूट लो
और उन्हें अदरक मान, चाय में डाल, पी जाओ
कडवी लगेगी पर सेहत के लिए अच्छी है
जब किसी पर गुस्सा आये, हफ्ते दो हफ्ते रुका जाएँ,
फिर उन 'किसी' को चाय पे बुला कर,
वही अदरक की चाय मिल कर पीई जाए
अगर ज़िन्दगी से निराशा है,
या यूँ कह लो खुद से हताशा है
इन सभी शा'ओं की गठरी बाँध, दूर वीराने में डाल आओ
अगर दिल में चुभी बातों की एक किताब बना रखी है
जिसमें क्रमानुसार लेखा जोखा सजा हो
कब किसने ठेस पहुंचाई
अगली पूर्णिमा की रात
उस किताब का होलिका दहन कर आओ
क्यूँ? क्या जल्दी है?
क्या तुम कछुआ हो?
बरगद हो? या श्री भगवान् हो?
न मरना का वरदान प्राप्त है तुम्हे?
नहीं ना? तो तुम्हारी ज़िन्दगी बहुत लम्बी नहीं है !!
क्या पैदा होने पर कान में किसी ने ये कहा था की बहुत जीयोगे
पर याद दिलाने के लिए माफ़ी
'बहुत' तो तुम जी चुके हो
अब तो 'कुछ' ही बाकी है
इसीलिए ग़मों, हताशाओं, लाचारी, बेचारी
का पोटला उठाओ, और समुन्दर में फ़ेंक आओ,
समुन्दर न मिले तो मिटटी खोद दफ़न कर दो उन्हें
ज़िन्दगी छोटी है, बुरी गुज़रे तो और भी छोटी
इतनी बीती है, शेष भी बिना बताये बीत जायेगी
कैसे बीतेगी, आज तय कर लो
मान जाओ ये बात,
ज्यादा वक्त नहीं है अब तुम्हारे पास
बहुत बढ़िया तृप्ति जी
ReplyDeleteसादर
:)aap keh rhe hain to maan rahi hon otherwise likhte wakt aur yahan post karte wakt mujhe aksar nahi lagta ki kuch accha likha hai...so bahaut bahaut shukriya ..hausla afzai ka , padhne ka bhi, shukriya..
ReplyDeleteजब किसी पर गुस्सा आये, हफ्ते दो हफ्ते रुका जाएँ,
ReplyDeleteफिर उन 'किसी' को चाय पे बुला कर,
वही अदरक की चाय मिल कर पीई जाए
अच्छा लगा हमे!
:) mujhe accha laga aapne padha, bahaut bahaut shukriya jee
Deleteबहुत ही अच्छी recipe है ...दिल से लिखा है !
ReplyDelete:) jee shukriya
ReplyDelete:):)ha ha ha
ReplyDelete:) shukriya
Deletemashallah !! just loved the hindi...
ReplyDeleteeven i tried -
http://vineetnagchemicals.blogspot.com/
'Gustakhi maaf' pe gaur farmayiyega or apne vichar vyakt figiyega...
:) shukriya
Deleteye recipe to try karni hi padegee..
ReplyDeletebahut sunder bhavpoorn prastuti Tripti..keep it up!!
ye recipe to try karni hi padegee..
ReplyDeletebahut sunder bhavpoorn prastuti Tripti..keep it up!!
:) try to mujhe bhi karni hai...meri kathni aur karni mein antar hai..thanks for reading..
ReplyDeleteसुन्दर सृजन , बेहतरीन भावाभिव्यक्ति.
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग" meri kavitayen" पर भी पधारें, आभारी होऊंगा .
:) jee shukriya..invitation aur kavita padhne dono ke liye
Deleteबहुत अच्छी अच्छी बातें करती हैं आप तो :)'
ReplyDeleteऔर ये "एक पाक विधि" कविता ही नहीं, महत्वपूर्ण ज्ञान भी है :)
बहुत खूबसूरत लगी कविता!!
:) dhanyavaad aapka..
Deleteबहुत सही कहा आपने त्रिप्तिजी ...ज़िन्दगी बड़ी होनी चाहिए लम्बी नहीं ...रो रो के जिया तो क्या जिया ....मज़ा तो इसमें है की रोतों को भी हंसा दो तुम......
ReplyDeletebilkul sahi :)
Deletegahre soch ko shbdon me dhala hai
ReplyDeletesunder prastuti
rachana
:) jee shukriya
DeleteAdbhut Abhivykti....
ReplyDelete:) shukriya
Deleteतृप्ति जी आज शायद पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ.....बहुत अच्छा लिखा है आपने......सकरात्मक सोच को दर्शाती है आपकी पोस्ट.....पर गठरी बाँध के छोड़ आना इतना आसान भी तो नहीं......ये मन बड़ी मुश्किल से काबू में आता है......सही और गलत, झूठ और सच, पाप और पुन्य के बीच झूलता इंसान जैसे बेबस सा हो जाता है.....खैर कभी वक़्त मिले तो हमारे ब्लॉग पर भी आयें और सही लगे तो फॉलो भी करें ।
ReplyDeleteजी ज़रूर :)
Deleteबहुत ही सुपाच्य और ज्ञानपरक पाक विधि...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना!!
:) jee shukriya
Deleteआपके लेखन में एक नवीनता है जो इन्हें एक अतिरिक्त आकर्षण प्रदान कर रही है.
ReplyDeleteसभी रचनाएँ बहुत ही सुन्दर लगीं .
aapne padhi uske liye bahaut bahaut shukriya :)
Deleteअच्छी है |
ReplyDeleteshukriya :)
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