दीवारें सुनती हैं सब
हमारी बातें, हमारी फुसफुसाहटें
दीवारें सुनती हैं वो सब
जो हम बतियाते नहीं
दीवारें सुनती हैं वो भी
जो हम छुपाते हैं
अक्सर खुद से, तो कभी दूसरों से
दीवारें सुनती हैं सब
जो हम दिन में नहीं बोलते,
रातों को पड़े बिस्तर पर नहीं सोचते
दीवारों को याद है वो बातें
जो मैंने उसे कहनी चाही
पर कभी दिल तो कभी मुह में दबा ली
दीवारों को याद है कई रातें
कई रातों में कही हुई कई बातें
कभी खुद से किये हुए वादे
जो अब भूलने सी लगी हूँ मैं
हम बतातें जो हैं
कई रातों में कही हुई कई बातें
कभी खुद से किये हुए वादे
जो अब भूलने सी लगी हूँ मैं
दीवारें पूछती नहीं
पर सुनती हैं सबहम बतातें जो हैं
दीवारों के कान होते हैं ना...
ReplyDeleteऔर उनकी रेंज भी बड़ी लंबी है...
u write very nice...
i too write :-)
u see, we both have same blog names...
good to see u..
thanks for joining my blog..
regards.
kal hi aapki rachnayein padi thi, aap likhti to accha hain hi mazaak bhi accha karti hain, aapka likha hua undekha karne laayak nahi hai, bilkul bhi nahi. aap yun hi likhti rahein aur hum magn hoke yun hi padhte rahenge.
Deleteगलती से आ गया आपके ब्लॉग पर, जैसा की विद्या जी ने कहा उनके ब्लॉग का नाम भी यही है, उन्ही के ब्लॉग ओर जा रहा था की यहाँ पहुँच गया.
ReplyDeleteअच्छा लगा पढ़कर आपको ...
दीवारों को याद है कई रातें
कई रातों में कही हुई कई बातें
कभी खुद से किये हुए वादे
जो अब भूलने सी लगी हूँ मैं
Life is Just a Life
My Clicks
.
:)shukriya aapka neeraj ji raasta bhatakne ke liye.
Deletedeewar dheere se bollee mujhse
ReplyDeletekoi aayaa hai nirantar ke ghar par
kam se kam istakbaal to karlo uskaa
thodaasaa dhanywaad dedo
sundar kavitaa likhne ke liye
saath mein badhaayee bhee dedo
bahaut bahaut shukriya
DeleteI only knew "i write.."'s Vidya now Tripti also
ReplyDeletei should change me blog's name to 'i too write' as vidhya ji came here before me and she so duly deserves it :)
DeleteI remember one poem i had written
ReplyDeletehe Silent Walls
Walls see
Acts of love
Acts of hate
Happiness
&
Agony
Walls hear
Words of love
Words of hate
Words of despair
&
Hope
They remain
Silent spectator
Do not support
Do not reject
I wish
God provides
Speech to them
To reveal the truth
That lies hidden
In their heart
01-09-2011
1429-04-09-11
mujhe aisa lag rha hai jo kuch main nhi likh paayi woh aapki is poem mein likha hua hai esp the last lines, thank u.
DeleteThanks
DeleteGo to http://nirantarajmer.com
and
http://nirantarkahraha.blogspot.com
to read more of my thoughts
दीवारों को याद है कई रातें
ReplyDeleteकई रातों में कही हुई कई बातें
कभी खुद से किये हुए वादे
जो अब भूलने सी लगी हूँ मैं
divaron pr bahut khoob likha hai aapne
badhai
rachana
:) shukriya
Deleteआपको रामनवमी और मूर्खदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
ReplyDelete----------------------------
कल 02/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
:) jee shukriya
ReplyDeleteदीवारें सब सुनती हैं ...कभी कभी दीवारों को सुनाना भी अच्छा लगता है .... अच्छी रचना
ReplyDelete:) jee shukriya
Delete.....क्यूंकि दीवारें पहचानती हैं हर उस स्पर्श को ..जब हम मिलके रोये थे ......हर उस चीख को ....जिससे उन्होंने अपने भीतर ज़ज्ब कर लिया ....हर उस आहट को जब जब हमने कान लगाकर उन पदचापों को सुनने की कोशिश को थी
ReplyDelete...दीवारें जानती हैं सब कुछ ...!!!!
:)दीवारें जानती हैं सब कुछ और आप भी,,,बहुत बहुत शुक्रिया आपका
Deleteसार्थक अभिवयक्ति....
ReplyDelete:) jee shukriya
Delete