कल सवेरे से ही मेरा कुछ चुराने का जी था
मैंने सूरज से पूछा, वो बोला
सर्दी बहुत है
फरवरी लगने से पहले मैं ऐसा सोचूं भी ना
मैंने दिन काटा एक आस के साथ
शाम घिरी और पूछी चाँद से वही बात
चाँद बडबडाया की आज है करवा चौथ
और करोड़ों सुहागिनों की बददुआ लेना
उसके लिए होगी मौत
इस बार ज़रा डरते हुए कैलेंडर से मैंने पूछा
अगला महीना चुरा लूँ मैं?
तर्क मिला फरवरी तो वैसे ही कमज़ोर जान है
हर चार साल बाद एक-एक दिन के लिए लड़ भिड़ती है
वो कहाँ मानेगी ऐसे में मेरी बात
मैंने सूरज से पूछा, वो बोला
सर्दी बहुत है
फरवरी लगने से पहले मैं ऐसा सोचूं भी ना
मैंने दिन काटा एक आस के साथ
शाम घिरी और पूछी चाँद से वही बात
चाँद बडबडाया की आज है करवा चौथ
और करोड़ों सुहागिनों की बददुआ लेना
उसके लिए होगी मौत
इस बार ज़रा डरते हुए कैलेंडर से मैंने पूछा
अगला महीना चुरा लूँ मैं?
तर्क मिला फरवरी तो वैसे ही कमज़ोर जान है
हर चार साल बाद एक-एक दिन के लिए लड़ भिड़ती है
वो कहाँ मानेगी ऐसे में मेरी बात
( to be contd....)
No comments:
Post a Comment