गड्ढे पे गड्ढा
हर गड्ढे के बाद फिर एक गड्ढा
किसने खोदे इतने गड्ढे
किसे मेरी ज़िन्दगी में इतनी दिलचस्पी है
कहीं खुद ज़िन्दगी ने ही तो नहीं
उसे कोई रंज हो मुझसे
मुझे तो है- उससे
पर अगर ये यूँ ही चलता जाए
जो हम तालमेल न बिठा पाएं
तो कैसे जिएंगे साथ- साथ
जो कदमताल न मिला पाएं
तो कैसे कटेगी उम्र पचास
चल ज़िन्दगी, एक कोशिश करें,
साथ जीने की, साथी बनने की
शुरुआत करें
आ हम बात करें, इसी तरह शुरुआत करें
हर गड्ढे के बाद फिर एक गड्ढा
किसने खोदे इतने गड्ढे
किसे मेरी ज़िन्दगी में इतनी दिलचस्पी है
कहीं खुद ज़िन्दगी ने ही तो नहीं
उसे कोई रंज हो मुझसे
मुझे तो है- उससे
पर अगर ये यूँ ही चलता जाए
जो हम तालमेल न बिठा पाएं
तो कैसे जिएंगे साथ- साथ
जो कदमताल न मिला पाएं
तो कैसे कटेगी उम्र पचास
चल ज़िन्दगी, एक कोशिश करें,
साथ जीने की, साथी बनने की
शुरुआत करें
आ हम बात करें, इसी तरह शुरुआत करें
चल ज़िन्दगी, एक कोशिश करें,
ReplyDeleteसाथ जीने की, साथी बनने की
शुरुआत करें
आ हम बात करें, इसी तरह शुरुआत करें
बहुत खूब तृप्ति जी !
सादर
-----
‘जो मेरा मन कहे’ पर आपका स्वागत है
एक सुझाव है यदि पोस्ट का कोई टाइटिल भी दें तो और अच्छा लगेगा।
ReplyDeleteसादर
:) maine posts ke title de diye hain, shukriya dhyaan dilaane ke liye.
Delete