शुक्र है की मौत पूछ कर नहीं आती
मौत इतनी बेवकूफ नहीं
मुझे कोई, कोई एक इंसान दिखाए
जो ख़ुशी से कहे- मैं जी लिया
अब मरना चाहता हूँ
सब असलियत से वाकिफ हैं
जानते हैं मौत को टालना उनके बस में नहीं
सो यूँ भरे दिल से नाटक करते हैं
जैसे वो तैयार हैं
पूछे कोई उनके दिल पे हाथ रखकर
फिर से जीना चाहोगे?
जो न किया, वो करना चाहोगे?
जहाँ नहीं गए, वहां जाना चाहोगे?
जो नहीं बने, वो बनना चाहोगे?
जीने की चाह एक स्वस्थ दिल में
अन्दर तक पैठ किये होती है
और यह अच्छी बात है
हर वो इंसान जो जीना चाहता है
जीना उसका अधिकार है
सबकी मौत ऐसी ही होती है
मानो तुमने कोई नर सिंघार किया हो
और तुम्हे मरने की सज़ा दी गयी हो
तुम मरना नहीं चाहते और जानते हो
की इससे बच भी नहीं सकते
अगर मौत खुद मरते हुए को
कान में आकर कहे -
'अगर जीना है, तो भाग ले
मैं पीछे नहीं आऊँगी '
सभी मरतों का जन सैलाब भागता हुआ मिलेगा
सब जीना चाहते हैं
वो बनना चाहते हैं जो ना बने
वहां जाना चाहते हैं, जहाँ ना गए
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