आदतन ही हम कुछ बोल देते हैं
और फिर पछताते हैं
आदतन ही हम लड़ लेते हैं
और फिर उन्हें भूलने की कोशिश में लगे रहते हैं
आदतन ही हम किसी को नापसंद करते रहते हैं
और शिकायत करते हैं की मुझे शांति चाहिए
आदतन ही हम दिनों साल गुज़ार देते हैं
और फिर मरने की घडी टालते रहते हैं
इस आदत को ख़त्म कर दो
कोई चीज़ आदत ना रहे
आदत ही मौत है
आदत का होना ही इंसान की मौत है
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