सपने
अजीबों- गरीब
बेसिर-पैर के सपने
कभी चारपाई से गिराते
कभी चौक कर नींद से उठाते
कभी चुपचाप
एक के बीच में ही
दुसरे शुरू हो जाते- ये सपने
बड़ी से बड़ी बात भी
छोटी मालूम होती है
तो कभी मामूली से मामूली बात का भी बतंगड़ बन जाता है
सपनों में
बरसों पहले भूले लोग मिल जाते हैं
तो इस जनम के अपनों का नामो-निशाँ भी नहीं रहता
खोब सोयो तो ज़रूर आते हैं यह सपने
अजीबों गरीब
बेसिर-पैर के ये सपने
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