जी चाहता है
जोर से हाथ पटकूं और चिल्लाऊं
आज फिर उन्हें मैं आइना दिखाऊँ
वो करते हैं अभिमान खुद पर, पैसे पर
जी चाहता है
आज फिर उन्हें उनकी गरीबी से परिचय कराऊँ
वो गाते हैं की उन्हें कई गम हैं
जी चाहता है
उन्हें बतलाऊँ उनके गम पर मुझे कितनी ख़ुशी है
वक्त पलटा है
जो रुलाते थे, आज रोते हैं
जो दहाड़ते थे, आज भीगी बिल्ली बने बैठे हैं
जी चाहता है
उनको बगल में बैठा कर
थपकी दे कर, उनका दिल सहलाऊँ
कुछ उनकी शिकायतें सुनूं
कुछ अपनी सुनाऊँ
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