सर्दियों के दिन आए
तो पता चली हमें, बादलों की औकात
बादलों की औकात-
जो धूप का इक कतरा भी ज़मीन पर नहीं पड़ने देती
करमी सूरज भी दिन भर मगजमारी करता है
नयी-नयी रणनीतियां बनाकर
नयी नयी जगह अपनाकर
बादलों की चादर भेदने में लगा रहता है
और हम धरावासी ललचाई आँखों से
सूरज को ताकते हैं, कोसते हैं
आज ऐसा ही ऐतेहासिक दिन है जब हम
पुरे दिन सूरज और बादल की
वर्चस्व की लड़ाई देखेंगे
और कपकपाती हुई आवाज़ और ठन्डे पड़ते हाथों से सूरज की side लेंगे
आज हमने और सूरज ने जानी
बादलों की औकात
आज ऐसा ही ऐतेहासिक दिन है जब हम
ReplyDeleteपुरे दिन सूरज और बादल की
सर्वचस्व की लड़ाई देखेंगे
और कपकपाती हुई आवाज़ और ठन्डे पड़ते हाथों से सूरज की side लेंगे
आज हमने और सूरज ने जानी
बादलों की औकात.....waah! achi kalpnashilta hai,bahut behtreen soch ,aur rachna bhi utni hi behtreen ......bdhaai....
@ avanti jee aap meri kisi likhi hui kavita pe kuch kah dein, woh mere liye din bhar ek taang pe naachne ka reason ban jata hai... main chupke se aapke blog pe aapki har nayi kavita padh daalti hun aur comment karne ki kabhi himmat bhi nahi karti....aapka mere kisi kavite pe kuch kehna itna maayne rakhta hai mere liye...aapko bahaut bahaut thanks.
ReplyDeletehathheli se suraj ka mukabala bahut achhi abhivyakti
ReplyDelete@sunil kumar jee : bahaut bahaut bahaut shukriya aapka... aapne padhi yahi bahaut hai mere liye...i wish u a goodday :)
ReplyDeleteadhbhut kalpana ka sangam kiya hai bahut khub........ meri taraf se koti koti dhanywad aisi adhbhut rachna per aapko........
ReplyDelete@ utkarsh jee : aapne jitni badhai ki hai meri nazar mein rachna uske kaabil to nahi hai par hauslaafzaai ke liye aapka dhanyawaad. goodday :)
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