हमें खुद को टटोलते रहना चाहिए
साल दो साल में
देखने के लिए की क्या बदला
कहीं हम ही तो नहीं बदल गए
पुराने दोस्तों से मिलते रहना चाहिए
देखने के लिए की क्या बदला
कहीं हम ही तो नहीं बदल गए
हमारे कमरे का वो cupboard
जहाँ ग्रीटिंग कार्ड्स, class फोटोज, handwritten notes रखे हैं
कभी-कभी देख लिया करो,
हमारे कमरे का वो cupboard
जहाँ ग्रीटिंग कार्ड्स, class फोटोज, handwritten notes रखे हैं
कभी-कभी देख लिया करो,
पुरानी स्क्रेपबुक्स, पुरानी पिक्चर्स,
और अगर मिल जाएँ
तो पुरानी classwork copies के आखिरी पन्नों पे बने हुए FLAMES
और अगर मिल जाएँ
तो पुरानी classwork copies के आखिरी पन्नों पे बने हुए FLAMES
कभी-कभी अपने गांव हो आना चाहिए
देखने के लिए की क्या बदला
कहीं हम ही तो नहीं बदल गए
क्या हम सचमुच बदल जाते हैं?
इसका जवाब हाँ भी है और ना भी
कौन बदल देता हैं हमें?
वक्त, अनुभव, मौके
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