अगर घुमक्कड़ी का शौक है
तो ऑफिस में क्या बैठा है ?
जा कोई ट्रेन पकड़
अगर आशिक़ी का शौक है
तो दिल मार के क्यूँ बैठा है ?
जा इज़हार कर, जा किसी से प्यार कर
अगर लिखने का शौक है
तो कलम और पन्ना इतना दूऱ क्यूँ है ?
लिख कोई किताब , लिख अपनी कहानी
अगर सुनाने का शौक है
तो क्या सुनने वालों कि कमी है ?
वो तेरे गम भी सुनेंगे और फलसफे भी
वो साथ बैठेंगे भी और गुनगुनाएँगे भी
अगर घुमक्कड़ी का शौक है
तो ऑफिस में क्या बैठा है ?
तो ऑफिस में क्या बैठा है ?
जा कोई ट्रेन पकड़
अगर आशिक़ी का शौक है
तो दिल मार के क्यूँ बैठा है ?
जा इज़हार कर, जा किसी से प्यार कर
अगर लिखने का शौक है
तो कलम और पन्ना इतना दूऱ क्यूँ है ?
लिख कोई किताब , लिख अपनी कहानी
अगर सुनाने का शौक है
तो क्या सुनने वालों कि कमी है ?
वो तेरे गम भी सुनेंगे और फलसफे भी
वो साथ बैठेंगे भी और गुनगुनाएँगे भी
अगर घुमक्कड़ी का शौक है
तो ऑफिस में क्या बैठा है ?
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