Thursday, 27 February 2014

बर्फ


जिसे  ढूँढ़ते हो वही नहीं मिलता 
जब ढूँढ़ते हो तब नहीं मिलता 
जो दिखते हो वो तुम हो नही 
जो बोलते हो क्या वो भी नहीं?
पहाड़ पे गिरी बर्फ क्यूँ नहीं बन जाते तुम 
कितने  धुले हुए दिखोगे जब सूरज चमकेगा तुम पर 




Saturday, 15 February 2014

title - fair n lovely and olay

अपनी लड़कियों को इतना सहेज के क्यूँ रखते हो 
फसल ढकी रहेगी तो पकेगी क्या ख़ाक

जाने दो उन्हें धुप में 
होने दो उनका रंग काला 
जो तुम्हारे लिए काला है 
मेरे लिए सुनहरा है 
वैसे अब काले से भी डर कहाँ 
market  में fair n lovely सस्ती जो आने लगी है 
अब झुर्रियां और बेजान त्वचा का डर भी कोई डर है 
olay 7 in 1 अब हर उम्र के लिए जो आने लगी है 

अपनी लड़कियों को इतना सहेज के क्यूँ रखते हो 
दहेज़ कि तरह !!
अगर रक्षक बनने का इतना ही शौक है 
तो क्यूँ जाने देते हो उन्हें किचन में भी  
हादसे वहाँ भी हो सकते हैं 
सिलिंडर फट सकता है 
बालों में आग लग सकती है 
उनके बालों से बहुत प्यार है न तुम्हे 
इतना कि शादी से पहले ही कह डाला था कि बाल न कटवाना कभी 

पर मैं इतनी भी बेसमझ नहीं 
समझती हूँ 
वो cosmetic cream ही क्या, जो झूठा वादा न करे 
और वो society  ही क्या जो hypocrite  न हो 




उड़न तश्तरी उड़न तश्तरी उड़न तश्तरी
























Title - उड़न तश्तरी  उड़न तश्तरी  उड़न तश्तरी  
उड़न तश्तरी उड़न तश्तरी  उड़न तश्तरी  
आये मेरे घर की छत पे कभी 
और बैठा कर मुझे सैर पे ले जाए 
उड़न तश्तरी  उड़न तश्तरी  उड़न तश्तरी  

मैं जहाँ चाहूँ वहाँ उतारे 
मैं जब तक चाहूँ मुझे वहां रुकाए 
और फिर उड़ा ले जाए 
उड़न तश्तरी उड़न तश्तरी उड़न तश्तरी 

मैं चाहूँगी जाना 
दीदी के घर, सीमा दीदी के घर-बॉम्बे 
मैं अपने बेटे को उस उड़न तश्तरी में 
साथ बिठा के, खुद से चिपका के 
ले जाऊँगी मधु मासी के घर 
उड़न तश्तरी उड़न तश्तरी मेरी उड़न तश्तरी

मधु मासी कि ड्राइंग रूम कि खिड़की से 
हम होंगे दाखिल, वहाँ रुकेंगे खाएँगे पियेंगे 
और फिर निकल पड़ेंगे बॉम्बे कि और 

रास्ते में एक पेड़ पे मासी बेटी रुक जायेंगे 
ठंडी हवाएं किसी ऊंचे पेड़ कि मज़बूत डाली पे
बैठ कर हम खाएँगे 
मेरे बच्चे के घुंघराले बाल उस हवा से
और भी घुंघराले हो जायेंगे 
उड़न तश्तरी उड़न तश्तरी उड़न तश्तरी

अब मासी अपने बेटे को उसके घर पे देगी छोड़ 
और बेटा अपनी मम्मी को देख कर 
हो जाएगा खुश और चिपक जाएगा मम्मी से..... 
अपनी toothy smile  लिए 

उड़न तश्तरी उड़न तश्तरी उड़न तश्तरी
आये मेरे घर की छत पे कभी 

Thursday, 13 February 2014

अगर घुमक्कड़ी का शौक है
तो ऑफिस में क्या बैठा है ?
जा कोई ट्रेन पकड़

अगर आशिक़ी का शौक है
तो दिल मार के क्यूँ बैठा है ?
जा इज़हार कर, जा किसी से प्यार कर

अगर लिखने का शौक है
तो कलम और पन्ना इतना दूऱ क्यूँ है ?
लिख कोई किताब , लिख अपनी कहानी

अगर सुनाने का शौक है
तो क्या सुनने वालों कि कमी है ?
वो तेरे गम भी सुनेंगे और फलसफे भी
वो साथ बैठेंगे भी और गुनगुनाएँगे  भी

अगर घुमक्कड़ी का शौक है
तो ऑफिस में क्या बैठा है ?







Kavyitri ko rat race kha gyi!

woh kavyitri kahan gyi use dhondti hun main  corporate kha gya us kavriti ko  par weekends to mere hain,  choices to meri hain  corporate me...