Thursday, 13 December 2012

रवानगी

दिल तू हौले-हौले संभल जा
बात मान जा, दरखास्त मान जा

तुझे रास्तों पे सँभालते हुए ऐसे चलते हैं हम,
जैसे रूई के फोहे हाथ में ले रखे हों
डर सताता है, किसी के हाथ मारने
की कोशिश भर से ही
राख ना हो जाए यह दिल मेरा 


भला कब तक यूँ तुझे संभालें,
कब तक तुझे बचाते फिरें

इसीलिए कहती हूँ 
तू हौले हौले संभल जा
बात मान जा, दरखास्त मान जा

शिकायत मुझे, कुछ और भी है 
मसलन, तू क्यूँ उन लच्छेदार बातों में बार-बार आ जाता है 
तू क्यूँ उन रास्तों में जाता है 
जहाँ तेरे वास्ते सिर्फ फिसलन लिखी है 

गौरतलब यह भी है,
तेरी और मेरी कभी ज्यादा बनी नहीं
पब्लिक में मैंने तुझे भाव दिए नहीं
पर सवासेर तू भी था 
हाथ आए मौके, तुने भी गवाए नहीं

पर मैं समझती हूँ
तू अब सयाना हो चला है
उम्र भी गिनने लायक हो गई है
सफेद रेशमी धागे कहीं- कहीं दिखने लगे है 
मैं समझती हूँ 
तू वादों का पक्का हो चला है

फिर काहे का झगडा
और क्यूँ करें इतनी मगजमारी
आ पास बैठ, दो बातें कर ले
आ समझोता कर लें

मैं माफ़ी माँगूँ , तू माफ़ कर दे
मैं तेरी देखरेख से मुक्त हो जाऊं,
और तू मुझे उम्र के इस पड़ाव पर,
सुकून अदा कर दे


3 comments:

  1. "दिल तू हौले हौले संभल जा
    बात मान जा, दरखास्त मान जा"

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  2. पर मैं समझती हूँ
    तू अब सयाना हो चला है
    उम्र भी गिनने लायक हो गई है
    सफेदी रेशमी धागे कहीं- कहीं दिखने लगे है
    मैं समझती हूँ
    तू वादों का पक्का हो चला है
    very beautiful lines...

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  3. Dil ko Manaane samajhaane ka andaz nirala hai... :)

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Kavyitri ko rat race kha gyi!

woh kavyitri kahan gyi use dhondti hun main  corporate kha gya us kavriti ko  par weekends to mere hain,  choices to meri hain  corporate me...