जाड़ों ने आहट दे दी है
सर्दियां अब करीब हैं
बक्से, अलमारी खोलो
हाफ स्वेटर निकालो
सर्दियां अब करीब हैं
स्वेटर में दबी मिलेगी
कपूर की गोली
उसे सूंघने का मज़ा, कुछ और है
आज से चार सवेरे पहले
किसी दुपहिया चालक को
स्वेटर पहने देखा
तो सोचा, "गधा है"
आज देखा तो सोचा, "समझदार है"
अब मिलेंगी गरम मूंगफलियाँ
अब निकलेंगी रजाइयां
अब सिकेंगे हाथ तवे पर
अब चाय पीने का अलग होगा मज़ा
अब वक्त आ गया है सर्दियों का
सर्दियां अब करीब हैं
बक्से, अलमारी खोलो
हाफ स्वेटर निकालो
सर्दियां अब करीब हैं
स्वेटर में दबी मिलेगी
कपूर की गोली
उसे सूंघने का मज़ा, कुछ और है
आज से चार सवेरे पहले
किसी दुपहिया चालक को
स्वेटर पहने देखा
तो सोचा, "गधा है"
आज देखा तो सोचा, "समझदार है"
अब मिलेंगी गरम मूंगफलियाँ
अब निकलेंगी रजाइयां
अब सिकेंगे हाथ तवे पर
अब चाय पीने का अलग होगा मज़ा
अब वक्त आ गया है सर्दियों का
वाह
ReplyDeleteVery Nostalgic.. :)
ReplyDeleteसच है सर्दियों का अपना अलग मजा है, मेरा वैसे भी फेवरिट मौसम है यह!
ReplyDeleteकविता पढ़ कर बशीर साहब का एक शेर याद आया :
'गर्म कपड़ों का संदूक मत खोलना वरना यादों की काफूर जैसे महकेगी
खून में आग बन कर उतर जायेगी, सुबह तक ये मकाँ ख़ाक हो जाएगा'