Thursday, 13 December 2012

हाफ स्वेटर

जाड़ों ने आहट दे दी है
सर्दियां अब करीब हैं
बक्से, अलमारी खोलो
हाफ स्वेटर निकालो
सर्दियां अब करीब हैं

स्वेटर में दबी मिलेगी
कपूर की गोली
उसे सूंघने का मज़ा, कुछ और है

आज से चार सवेरे पहले
किसी दुपहिया चालक को
स्वेटर पहने देखा
तो सोचा, "गधा है"
आज देखा तो सोचा, "समझदार है"

अब मिलेंगी गरम मूंगफलियाँ
अब निकलेंगी रजाइयां
अब सिकेंगे हाथ तवे पर
अब चाय पीने का अलग होगा मज़ा
अब वक्त आ गया है सर्दियों का    

3 comments:

  1. सच है सर्दियों का अपना अलग मजा है, मेरा वैसे भी फेवरिट मौसम है यह!
    कविता पढ़ कर बशीर साहब का एक शेर याद आया :
    'गर्म कपड़ों का संदूक मत खोलना वरना यादों की काफूर जैसे महकेगी
    खून में आग बन कर उतर जायेगी, सुबह तक ये मकाँ ख़ाक हो जाएगा'

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Kavyitri ko rat race kha gyi!

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